Sunday, 20 March 2022

निशकामिनी


 मौन हूँ, निःशब्द नहीं।

आवाज़ हूँ

बस बोलती नहीं।।

जज़्बात है 

मुंह खोलती नहीं।

चाहत है

किसी से उम्मीद नहीं।।

आते जाते कई लोग मिले,

कूछ याद रहे, कुछ याद बने।।

कुछ साथ चले, चलते ही रहे।

जो चल न सके, किरदार बने।।

पहल न करूं

किसी से डरती नहीं।

जीत की चाह नहीं

हार मानती नहीं।।

दुनिया में अपना किरदार कुछ

इस तरह से निभाना।

की अगर कोई आपके बारे में

गलत भी कहे, तो लोग उस पर

विश्वास न करे।।

मोहताज नहीं किसी ग़ालिब की

वो बागबान है, इस कायनात की

में हूँ निशकामिनी।।






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