बात है एक पुरानी, बचपन की है कहानी
घर पे था एक प्यारा दोस्त कहते ते रेडियो उसे।
रेडियो सुनते ही वो सबका दौड़ कर आना
कानों में घुल सी जाये वो मिठे गीत सुनना।
बीगड़े रेडियो को कभी और बिगाड़ना बनाना
याद है वो लता दी किशोर जी के मिठे गीत सुनना।
अपने मनपसंद गीतों की फरमाइश करना
उसे सुनने को सबकुछ छोड़कर घंटो इंतज़ार करना ।
समाचार छोड़कर बाकी सब कार्यक्रम सुनना
क्रिकेट की कॉमेंटरी में वो हर चौके छक्के सुन उछाल जाना।
होती थी हमारी सुबह उससे और रात भी उससे होती थी
सबको बांद के रखता था , सबका दिल खुश करता था।
याद है कुछ ...! जब ये रेडियो ही बस अपना था
दोस्तों में सबसे खास दोस्त, दिल को बहलाये रखने में मस्त था।
कभी हसाता था, कभी नग़मे सुनाता था
दीन दुनिया का हाल बखूबी फरमाता था।
एक सच्चा साथी की तरह हमेशा रिश्ता निभाता था।।
Wah wah kya baat ...true well written..
ReplyDelete😍🤗
ReplyDeleteIts wonderful I loved it
Delete😍😍🤩
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