Tuesday 25 July 2023

वो एक दौर था


 वो एक अलग ही दौर था,

वो समय ही कुछ और था।

डर था ?...आशा थी ? ... गुस्सा था ? .....

ना.... वो कुछ और था,

वो एक दौर था।।


सावन की रिमझिम थी, गीला आँगन था।

दो गज का सागर था, कागज़ की नाव थी।

वो कुछ और था, 

वो एक दौर था।


हाथ में डण्डा था, उड़ती हुई गिल्ली थी।

सुत में कसा लटटू था, खट्ट से उड़ती बिल्ली थी।

आवारा था ? ना वो कुछ और था।

वो एक दौर था।।


वैशाख के रातें थी। बरगद पे जुगनू थे।

तारों का समंदर था। आँखों में भरते थे।

बेपरवाह था ?.... ना, वो कुछ और था।

वो एक दौर था।।


बेवजह हँसना था। हर डांट पे रोना था।

जोर का चिल्लाना था, रूठ के मानना था।

और जब ...  तमीज़ की मुस्कान है, तन्हाई के सेर है।

वो सुकून था , वो कुछ और था।

वो एक ख़ूबसुरत दौर था।।


वो समय ही कुछ और था।

उन शांत और ख़ूबसुरत फ़िज़ाओं में,

बस चाहतों का शोर था।

वो एक सुहाना दौर था।।

 






Saturday 8 July 2023

साथी



बात है एक पुरानी, बचपन की है कहानी

घर पे था एक प्यारा दोस्त कहते ते रेडियो उसे।

रेडियो सुनते ही वो सबका दौड़ कर आना

कानों में घुल सी जाये वो मिठे गीत सुनना।

बीगड़े रेडियो को कभी और बिगाड़ना बनाना

याद है वो लता दी किशोर जी के मिठे गीत सुनना।

अपने मनपसंद गीतों की फरमाइश करना

उसे सुनने को सबकुछ छोड़कर घंटो इंतज़ार करना ।

समाचार छोड़कर बाकी सब कार्यक्रम सुनना

क्रिकेट की कॉमेंटरी में वो हर चौके छक्के सुन उछाल जाना।

होती थी हमारी सुबह उससे और रात भी उससे होती थी

सबको बांद के रखता था , सबका दिल खुश करता था।

याद है कुछ ...! जब ये रेडियो ही बस अपना था

दोस्तों में सबसे खास दोस्त, दिल को बहलाये रखने में मस्त था।

कभी हसाता था, कभी नग़मे सुनाता था

 दीन दुनिया का हाल बखूबी फरमाता था।

एक सच्चा साथी की तरह हमेशा रिश्ता निभाता था।।






Thursday 6 July 2023

मैं ज़िन्दगी हूँ


कल एक झलक ज़िन्दगी को देखा

वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी।

फिर ढूंढा उसे इधर उधर 

वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी।

एक अरसे के बाद आया मुझे करार

वो सेहला के मुझे सुला रही थी।

हम दोनों क्यों ख़फ़ा है एक दूसरे से

मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी।

मैंने पूछ लिया - क्यों इतना दर्द दिया कम्बख्त तूने,

वो हँसी और बोली - मैं ज़िन्दगी हूँ पगले

तुझे जीना सीखा रही थी।।