उठकर देखी जब
तस्वीरें बीते लम्हों की,
ठहरा हुआ मिला
एक वक़्त, मुस्कुराता सा।
चार दोस्त
खाली जेब, और पूरा शहर।
जनाब, हमारा एक खूबसूरत दौर
ये भी था जिंदगी का।।
वो दौर था, जब दोस्त थे
साथ चलने का वादा था ।
हर राह रोशन लगती थी
हर मुश्किल आसान लगती थी,
जैसे कोई मंज़िल पास थी।।
वो दौर था, जब प्यार था
दिल में एक सुकून थी।
हर धड़कन धड़कती थी
जैसे कोई गीत गाता था।।
अब कुछ ऐसे हो गए हैं, इस दौर के रिश्तें,
आवाज़ अगर तुम न दो, तो वो बोलते भी नहीं।।
पर यादें हैं, जो साथ हैं,
वो दौर, जो दिल में बस गया हैं ।
कभी - कभी, वो यादें याद आती हैं
और दिल को सुकून दे जाती हैं।।
उस दौर में हम सोचा करते थे कि,
कुछ बेहतर हासिल करेंगे ।
हमें क्या पता था कि ,
उससे बेहतर कुछ था ही नहीं ।।
वो भी क्या दौर था , ज़िंदगी का.......
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