Tuesday, 9 March 2021

नारी एक सुर्जन



 दिलों में बस जाये वो मोहब्बत हूँ,

कभी बहन , तो कभी ममता की मूरत हूँ ।

मेरे अंचल में है चाँद - सितारे,

माँ की कदमों में बसी एक जन्नत हूँ ।

हर दर्द और ग़म को छुपा लिया सीने में,

लब पे ना आये वो हसरत हूँ ।

मेरे होने से ही है, ये कायनात जवान,

ज़िन्दगी की बेहद हसीन हकीकत हूँ ।

हर रूप में ढल कर सवर जाऊं,

सब्र की मिसाल, हर रिश्ते की ताकत हूँ ।

अपने होसले से तक़दीर को बदल दूँ,

मिटा दूँ हर आशंकाये मन की ।

कदम से कदम मिलाकर चसलने तो दो मुझको,

सुन लो ऐ दुनिया, सुन ले में एक औरत हूँ ।।



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